रौशन जमाल-ए-याररौशन जमाल-ए-यार..रौशन जमाल-ए-यार से है अंजुमन तमामदेखा हुआ है आतिश-ए-गुल से चमन तमामहैरत गुरुर-ए-हुस्न से शोखी से इज़तराबदिल ने भी तेरे सीख लिए हैं चलन तमामअल्लाह रे हुस्न-ए-यार की खूबी के खुद-ब-खुदरंगीनियों में डूब गया पैरहान तमामदेख तो हुस्न-ए-यार की जादुई निगाहेंबेहोश एक नज़र में हुई अंजूमन तमाम
कभी मुझ को साथ लेकरकभी मुझ को साथ लेकर..कभी मुझ को साथ लेकर, कभी मेरे साथ चल केवो बदल गये अचानक, मेरी ज़िन्दगी बदल केहुए जिस पे मेहरबाँ, तुम कोई ख़ुशनसीब होगामेरी हसरतें तो निकलीं, मेरे आँसूओं में ढल केतेरी ज़ुल्फ़-ओ-रुख़ के, क़ुर्बाँ दिल-ए-ज़ार ढूँढता हैवही चम्पई उजाले, वही सुरमई धुंधलकेकोई फूल बन गया है, कोई चाँद कोई ताराजो चिराग़ बुझ गये हैं, तेरी अंजुमन में जल केतेरी बेझिझक हँसी से, न किसी का दिल हो मैलाये नगर है आईनों का, यहाँ साँस ले सम्भल के
कभी मुझ को साथ लेकरकभी मुझ को साथ लेकर, कभी मेरे साथ चल केवो बदल गए अचानक, मेरी ज़िन्दगी बदल के;हुए जिस पे मेहरबाँ, तुम कोई ख़ुशनसीब होगा;मेरी हसरतें तो निकलीं, मेरे आँसूओं में ढल के;तेरी ज़ुल्फ़-ओ-रुख़ के, क़ुर्बाँ दिल-ए-ज़ार ढूँढता हैवही चम्पई उजाले, वही सुरमई धुंधल के;कोई फूल बन गया है, कोई चाँद कोई तारा;जो चिराग़ बुझ गए हैं, तेरी अंजुमन में जल के;मेरे दोस्तो ख़ुदारा, मेरे साथ तुम भी ढूँढो;वो यहीं कहीं छुपे हैं, मेरे ग़म का रुख़ बदल के;तेरी बेझिझक हँसी से, न किसी का दिल हो मैलाये नगर है आईनों का, यहाँ साँस ले संभल के
कभी मुझ को साथ लेकरकभी मुझ को साथ लेकर, कभी मेरे साथ चल केवो बदल गए अचानक, मेरी ज़िन्दगी बदल के;हुए जिस पे मेहरबाँ, तुम कोई ख़ुशनसीब होगा;मेरी हसरतें तो निकलीं, मेरे आँसूओं में ढल के;तेरी ज़ुल्फ़-ओ-रुख़ के, क़ुर्बाँ दिल-ए-ज़ार ढूँढता हैवही चम्पई उजाले, वही सुरमई धुंधल के;कोई फूल बन गया है, कोई चाँद कोई तारा;जो चिराग़ बुझ गए हैं, तेरी अंजुमन में जल के;मेरे दोस्तो ख़ुदारा, मेरे साथ तुम भी ढूँढो;वो यहीं कहीं छुपे हैं, मेरे ग़म का रुख़ बदल के;तेरी बेझिझक हँसी से, न किसी का दिल हो मैलाये नगर है आईनों का, यहाँ साँस ले संभल के