दर्द गैरों को सुनाने की ज़रूरत क्या हैदर्द गैरों को सुनाने की ज़रूरत क्या है, अपने साथ औरों को रुलाने की ज़रूरत क्या हैवक्त यूँ ही कम है मोहब्बत के लिए, रूठकर वक्त गंवाने की ज़रूरत क्या है
ये शायरीयाँ कुछ और नहीं बेइंतहा इश्क हैये शायरीयाँ कुछ और नहीं बेइंतहा इश्क हैतड़प उनकी उठती है और दर्द लफ्जों में उतर आता है
खता हो गयी तो सजा बता दोखता हो गयी तो सजा बता दोदिल में इतना दर्द क्यों है वजह बता दोदेर हो गयी है याद करने में ज़रूरलेकिन तुमको भुला देंगे ये ख्याल दिल से मिटा दो
उसने मुझसे ना जाने क्यों ये दूरी कर लीउसने मुझसे ना जाने क्यों ये दूरी कर लीबिछड़ के उसने मोहब्बत ही अधूरी कर दीमेरे मुकद्दर में दर्द आया तो क्या हुआखुदा ने उसकी ख्वाहिश तो पूरी कर दी
Jis Ki Aaghosh Mein Hum Roz Mila Karte TheJis ki aaghosh mein hum roz mila karte theAb wahi sham har ek sham sada deti hai