हादसे इंसान के संग मसखरी करने लगेहादसे इंसान के संग मसखरी करने लगेलफ़्ज़ कागज़ पर उतर जादूगरी करने लगेक़ामयाबी जिसने पाई उनके घर तो बस गयेजिनके दिल टूटे वो आशिक़ शायरी करने लगे
जो आपने न लिय 1000जो आपने न लिय100E हो, ऐसा कोई इम्तिहान न रहाइंसान आखिर मोहब्बत में इंसान न रहाहै कोई बस्ती, जहां से न उठा हो ज़नाज़ा दीवाने काआशिक की कुर्बत से महरूम कोई कब्रिस्तान न रहा