आँखों के सागर में ये जलन है कैसीआँखों के सागर में ये जलन है कैसीआज दिल को तड़पने की लगन है कैसीबर्फ की तरह पिघल जायेगी ये जिंदगीये तेरी दूर रहने की कसम है कैसी
पलको के किनारे हमने भिगोए ही नहींपलको के किनारे हमने भिगोए ही नहींवो सोचते है हम रोए ही नहींवो पूछते है ख्वाब में किसे देखते होहम है कि एक उम्र से सोए ही नहीं
ग़म के दरियाओं से मिलकर बना है यह सागरग़म के दरियाओं से मिलकर बना है यह सागरआप क्यों इसमें समाने की कोशिश करते होकुछ नहीं है और इस जीवन में दर्द के सिवाआप क्यों इस ज़िंदगी में आने की कोशिश करते हो
जहाँ दरिया कहीं अपने किनारे छोड़ देता हैजहाँ दरिया कहीं अपने किनारे छोड़ देता हैकोई उठता है और तूफाँ का रुख मोड़ देता हैमुझे बे-दस्त-ओ-पा कर के भी खौफ उसका नहीं जाताकहीं भी हादसा गुज़रे वो मुझसे जोड़ देता हैशब्दार्थबे-दस्त-ओ-पा = असहा