हथेली पर रखकर नसीब हर शख्स मुकद्दर ढूंढता हैहथेली पर रखकर नसीब हर शख्स मुकद्दर ढूंढता हैसीखो उस समंदर से जो टकराने के लिए हमेशा पत्थर ढूंढता है
अपनी आँखों के समंदर में उत्तर जाने देअपनी आँखों के समंदर में उत्तर जाने देतेरा मुज़रिम हूँ मुझे डूब के मर जाने देज़ख़्म कितने तेरी चाहत से मिले हैं मुझकोसोचता हूँ कहूँ तुझसे, मगर जाने दे
यकीन अपनी चाहत का इतना है मुझेयकीन अपनी चाहत का इतना है मुझेमेरी आँखों में देखोगे और लौट आओगेमेरी यादों के समंदर में जो डूब गए तुमकहीं जाना भी चाहोगे तो जा नहीं पाओगे
होठों पर मोहब्बत के फ़साने नहीं आतेहोठों पर मोहब्बत के फ़साने नहीं आतेसाहिल पर समंदर के खजाने नहीं आतेपलकें भी चमक उठती हैं सोते हुए हमारीआँखों को अभी ख्वाब छुपाने नहीं आते
अपनी आँखों के समंदर में उतर जाने देअपनी आँखों के समंदर में उतर जाने देतेरा मुजरिम हूँ मुझे डूब कर मर जाने देज़ख्म कितने तेरी चाहत से मिले हैं मुझकोसोचता हूँ कहूँ, फिर सोचता हूँ कि छोड़ जाने दे