इक उम्र से हूँ लज़्जत-ए-गिरिया से महरूमइक उम्र से हूँ लज़्जत-ए-गिरिया से महरूमऐ राहत-ए-जाँ मुझ को मनाने के लिये आलज़्ज़त-ए-गिरिया: रोने के सुमहरूम: वंचिराहत-ए-जाँ: जो जान को सुख दे, प्रियेस