खुशबू की तरह आया वो तेज़ हवाओं मेंखुशबू की तरह आया वो तेज़ हवाओं मेंमाँगा था जिसे हम ने दिन रात दुआओं मेंतुम चाट पे नहीं आये मैं घर से नहीं निकलयह चाँद बहुत भटकता है सावन की घटाओं में
इन्हीं ग़म की घटाओं से ख़ुशी का चाँद निकलेगाइन्हीं ग़म की घटाओं से ख़ुशी का चाँद निकलेगाअँधेरी रात के पर्दे में दिन की रौशनी भी है