कुछ तो तन्हाई की रातों में सहारा होताकुछ तो तन्हाई की रातों में सहारा होतातुम न होते न सही ज़िक्र तुम्हारा होतातर्क-ए-दुनिया का ये दावा है फ़ुज़ूल ऐ ज़ाहिदबार-ए-हस्ती तो ज़रा सर से उतारा होतावो अगर आ न सके मौत ही आई होतीहिज्र में कोई तो ग़म-ख़्वार हमारा होताज़िन्दगी कितनी मुसर्रत से गुज़रती या रबऐश की तरह अगर ग़म भी गवारा होताअज़मत-ए-गिर्या को कोताह-नज़र क्या समझेंअश्क अगर अश्क न होता तो सितारा होताकोई हम-दर्द ज़माने में न पाया 'अख़्तर'दिल को हसरत ही रही कोई हमारा होता
हर पल कुछ सोचते रहने की आदत गयी हैहर पल कुछ सोचते रहने की आदत गयी हैहर आहट पे च चौंक जाने की आदत हो गयी हैतेरे इश्क़ में ऐ बेवफा, हिज्र की रातों के संगहमको भी जागते रहने की आदत हो गयी है
हर पल कुछ सोचते रहने की आदत हो गयी हैहर पल कुछ सोचते रहने की आदत हो गयी हैहर आहट पे चौंक जाने की आदत हो गयी हैतेरे इश्क़ में ऐ बेवफा, हिज्र की रातों के संगहमको भी जागते रहने की आदत हो गयी है
सुना है कि तुम रातों को देर तक जागते होसुना है कि तुम रातों को देर तक जागते होयादों के मारे हो या मोहब्बत मे हारे हो
सब पूछते हैं मुझ से क्यों रातों को मैं जागता हूँ और दिन में खोया हुआ सा रहता हूँसब पूछते हैं मुझ से क्यों रातों को मैं जागता हूँ और दिन में खोया हुआ सा रहता हूँचुप रहूँ या कह दूँ अब सब से कि इस बेचैन दिल की वजह तुम हो