इश्क़ को भी इश्क़ हो तो फिर देखूं मैं इश्क़ को भीइश्क़ को भी इश्क़ हो तो फिर देखूं मैं इश्क़ को भीकैसे तड़पे, कैसे रोये, इश्क़ अपने इश्क़ में
तुझमें और मुझमे फर्क सिर्फ इतना सा है कितुझमें और मुझमे फर्क सिर्फ इतना सा है कितेरा कुछ कुछ हूँ मैं और मेरा सब कुछ है तू
हँसकर कबूल क्या कर ली सजाएँ मैंनेहँसकर कबूल क्या कर ली सजाएँ मैंनेज़माने ने दस्तूर ही बना लिया हर इलज़ाम मुझ पर मढ़ने का
जिसके लिए तोड़ दी मैंने सारी सरहदेंजिसके लिए तोड़ दी मैंने सारी सरहदेंआज उसी ने कह दिया कि जरा हद में रहा करो