अय दिल ये तूने कैसा रोग लियाअय दिल ये तूने कैसा रोग लियामैंने अपनों को भुलाकर, एक गैर को अपना मान लिया
मुझे गुमान था कि चाहा बहुत सबने मुझेमुझे गुमान था कि चाहा बहुत सबने मुझेमैं अज़ीज़ सबको था मगर ज़रूरत के लिए
मैं पा नहीं सका आज तक इस खलिश से छुटकारामैं पा नहीं सका आज तक इस खलिश से छुटकारातु मुझे जीत भी सकता था मगर हारा क्यूँ
कभी तो सोच तेरे सामने नहीं गुज़रेकभी तो सोच तेरे सामने नहीं गुज़रेवो सब समय जो तेरे ध्यान से नहीं गुज़रेये और बात है कि उनके दरमियाँ मैं भीये वाकिये किसी तकरीब से नहीं गुज़रे
एक मुद्दत से मेरे हाल से बेगाना हैएक मुद्दत से मेरे हाल से बेगाना हैजाने ज़ालिम ने किस बात का बुरा माना हैमैं जो ज़िद्दी हूँ तो वो भी कुछ कम नहींमेरे कहने पर कहाँ उसने चले आना है
एक मुद्दत से मेरे हाल से बेगाना हैएक मुद्दत से मेरे हाल से बेगाना हैजाने ज़ालिम ने किस बात का बुरा माना हैमैं जो ज़िद्दी हूँ तो वो भी है अना का कैदीमेरे कहने पे कहाँ उसने चले आना है