वहाँ तक तो साथ चलो जहाँ तक साथ मुमकिन हैवहाँ तक तो साथ चलो जहाँ तक साथ मुमकिन हैजहाँ हालात बदलेंगे वहाँ तुम भी बदल जाना
चली जाती है आये दिन वो बियुटी पार्लोर में यूंचली जाती है आये दिन वो बियुटी पार्लोर में यूंउनका मकसद है, "मिशाल-ए-हूर" हो जानामगर ये बात किसी भी बेगम की समझ में क्यों नहीं आतीकि मुमकिन नहीं 'किशमिश' का फिर से 'अंगूर' हो जाना
आप को भूल जाऊं यह नामुमकिन सी बात हैआप को भूल जाऊं यह नामुमकिन सी बात हैआप को न हो यकीन यह और बात हैजब तक रहेगी साँस तब तक आप रहोगे यादटूट जाये यह साँस तो यह और बात है