मुद्दत गुज़र गयी कि यह आलम है मुस्तक़िलमुद्दत गुज़र गयी कि यह आलम है मुस्तक़िलकोई सबब नहीं है मगर दिल उदास है
मुद्दत से दूर थे हम-तुममुद्दत से दूर थे हम-तुमएक ज़माने के बाद मिलना अच्छा लगासागर से गहरा लगा प्यार आपकातैरना तो आता था पर डूबना अच्छा लगा
बड़ी मुद्दत से चाहा है तुम्हेबड़ी मुद्दत से चाहा है तुम्हेबड़ी दुआओ से पाया है तुम्हेतुझे भुलाने का सोचूं भी कैसेकिस्मत की लकीरों से चुराया है तुम्हें।
बड़ी मुद्दत से चाहा है तुम्हेंबड़ी मुद्दत से चाहा है तुम्हेंबड़ी दुआओं से पाया है तुम्हेंतुम ने भुलाने का सोचा भी कैसेकिस्मत की लकीरों से चुराया है तुम्हें