कोई हँस रहा हैकोई हँस रहा है..कोई हँस रहा है कोई रो रहा हैकोई पा रहा है कोई खो रहा हैकोई ताक में है किसी को है गफ़लतकोई जागता है कोई सो रहा हैकहीँ नाउम्मीदी ने बिजली गिराईकोई बीज उम्मीद के बो रहा हैइसी सोच में मैं तो रहता हूँ 'अकबर'यह क्या हो रहा है यह क्यों हो रहा ह
कोई बिजली इन ख़राबों में घटा रौशन करेकोई बिजली इन ख़राबों में घटा रौशन करेऐ अँधेरी बस्तियो! तुमको खुदा रौशन करेनन्हें होंठों पर खिलें मासूम लफ़्ज़ों के गुलाबऔर माथे पर कोई हर्फ़-ए-दुआ रौशन करेज़र्द चेहरों पर भी चमके सुर्ख जज़्बों की धनकसाँवले हाथों को भी रंग-ए-हिना रौशन करेएक लड़का शहर की रौनक़ में सब कुछ भूल जाएएक बुढ़िया रोज़ चौखट पर दिया रौशन करेख़ैर अगर तुम से न जल पाएँ वफाओं के चिरागतुम बुझाना मत जो कोई दूसरा रौशन करे