किसी ने तेरा बुरा भीकिसी ने तेरा बुरा भी..किसी ने तेरा बुरा भला कब कियाकिया खुदी का अपना, तूने जब कियाबस थोड़े से में सीखी पूरी जिंदगीपूरा किया पर उसे, जो भी जब कियाजो टालते गए, वो टालते गएउसी ने किया, जिसने अब कियाहसीं, प्यार, रश्क, अश्क एक मेंया खुदा! ये तूने क्या गज़ब कियाहमको तो कभी मिला जवाब नाताउम्र जिंदगी से है तलब किया'मजाल' हँसने की वजह कोई नहींपर रोने का भी बताएँ, सबब किया
जाने किस बातजाने किस बात..जाने किस बात पे उस ने मुझे छोड़ दिया है फ़राज़मैं तो मुफलिस था किसी मन की दुआओं की तरहउस शख्स को तो बिछड़ने का सलीका नहीं फ़राज़जाते हुए खुद को मेरे पास छोड़ गयाअब उसे रोज सोचो तो बदन टूटता है फ़राज़उम्र गुजरी है उसकी याद नशा करते -करतेबे-जान तो मै अब भी नहीं फराजमगर जिसे जान कहते थे वो छोड़ गयाजब्त ऐ गम कोई आसान काम नहीं फराजआग होते है वो आंसू , जो पिए जाते हैंक्यों उलझता रहता है तू लोगो से फराजये जरूरी तो नहीं वो चेहरा सभी को प्यारा लगे
ये चिराग़ बे नज़र है ये सितारा बेज़ुबाँ हैये चिराग़ बे नज़र है ये सितारा बेज़ुबाँ हैअभी तुझसे मिलता जुलता कोई दूसरा कहाँ हैवही शख़्स जिसपे अपने दिल-ओ-जाँ निसार कर दूँवो अगर ख़फ़ा नहीं है तो ज़रूर बदगुमाँ हैकभी पा के तुझको खोना कभी खो के तुझको पानाये जनम जनम का रिश्ता तेरे मेरे दरमियाँ हैमेरे साथ चलनेवाले तुझे क्या मिला सफ़र मेंवही दुख भरी ज़मीं है वही ग़म का आस्माँ हैमैं इसी गुमाँ में बरसों बड़ा मुत्मइन रहा हूँतेरा जिस्म बेतग़ैय्युर है मेरा प्यार जाविदाँ हैउंहीं रास्तों ने जिन पर कभी तुम थे साथ मेरेमुझे रोक रोक पूछा तेरा हमसफ़र कहाँ है
झूठा निकला क़रार तेराझूठा निकला क़रार तेरा..झूठा निकला क़रार तेराअब किसको है ऐतबार तेरादिल में सौ लाख चुटकियाँ लींदेखा बस हम ने प्यार तेरादम नाक में आ रहा था अपनेथा रात से इंतज़ार तेराकर ज़बर जहाँ तलक़ तू चाहेमेरा क्या, इख्तियार तेरालिपटूँ हूँ गले से आप अपनेसमझूँ कि है किनार तेरा'इंशा' से मत रूठ, खफा होहै बंदा जानिसार तेरा
आता है याद मुझकोआता है याद मुझको..आता है याद मुझको गुज़रा हुआ ज़मानावो बाग़ की बहारें, वो सब का चह-चहानाआज़ादियाँ कहाँ वो, अब अपने घोसले कीअपनी ख़ुशी से आना अपनी ख़ुशी से जानालगती हो चोट दिल पर, आता है याद जिस दमशबनम के आँसुओं पर कलियों का मुस्कुरानावो प्यारी-प्यारी सूरत, वो कामिनी-सी मूरतआबाद जिस के दम से था मेरा आशियाना
क्या बताऊं कैसा खुद कोक्या बताऊं कैसा खुद को..क्या बताऊं कैसा खुद को दर-ब-दर मैंने कियाउम्र भर किस-किस के हिस्से का सफ़र मैंने कियातू तो नफरत भी न कर पायेगा इस शिद्दत के साथजिस बला का प्यार तुझसे बेखबर मैंने कियाकैसे बच्चों को बताऊं रास्तों के पेचो-ख़मज़िंदगी भर तो किताबों का सफ़र मैंने कियाशोहरतों कि नज्र कर दी शेर की मासूमियतउस दिये की रौशनी को दर-ब-दर मैंने कियाचाँद जज्बाती से रिश्ते को बचाने को 'वसीम'कैसा-कैसा जब्र अपने आप पर मैंने किया