अपनी नींद से मुझे कुछ यूँ भी मोहब्बत है"फ़राज़"अपनी नींद से मुझे कुछ यूँ भी मोहब्बत है"फ़राज़कि उसने कहा था मुझे पाना एक ख्वाब है तेरे लि
अधूरी मोहब्बत मिली तो नींदें भी रूठ गयीअधूरी मोहब्बत मिली तो नींदें भी रूठ गयीगुमनाम ज़िन्दगी थी तो कितने सुकून से सोया करते थे