दोस्ती जब किसी से की जाये तो दुश्मनों की भी राय ली जायेदोस्ती जब किसी से की जाये तो दुश्मनों की भी राय ली जायेमौत का ज़हर है फिज़ाओं में अब कहाँ जा कर सांस ली जायेबस इसी सोच में हूँ डूबा हुआ कि ये नदी कैसे पार की जायेमेरे माज़ी के ज़ख़्म भरने लगे हैं आज फिर कोई भूल की जाये
बर्बादी का दोष दुश्मनों को देता रहा मैं अब तलकबर्बादी का दोष दुश्मनों को देता रहा मैं अब तलकदोस्तों को भी परख लिया होता तो अच्छा होतायूँ तो हर मोड़ पर मिले कुछ दगाबाज लेकिनआस्तीन को भी झठक लिया होता तो अच्छा होता
तुझे दुश्मनों की खबर न थी मुझे दोस्तों का पता नहींतुझे दुश्मनों की खबर न थी मुझे दोस्तों का पता नहींतेरी दास्ताँ कोई और थी मेरा वाकिया कोई और है