मुझसे मिलने कोमुझसे मिलने को...मुझसे मिलने को करता था वो बहाने कितनेअब मेरे बिना गुजरेगा वो जमाने कितनेमैं गिरा था तो रुके थे बहुत लोग;सोचता हूँ उनमें से आए थे उठाने कितनेअब और न दे दर्द मेरे दिल को ज़ालिम;भरे नहीं अभी तक जख्म पुराने कितने
तेरा ख़याल दिल सेतेरा ख़याल दिल से..तेरा ख़याल दिल से मिटाया नहीं अभीबेदर्द मैं ने तुझ को भुलाया नहीं अभीकल तूने मुस्कुरा के जलाया था ख़ुद जिसेसीने का वो चराग़ बुझाया नहीं अभीगदर्न को आज भी तेरे बाहों की याद हैचौखट से तेरी सर को उठाया नहीं अभीबेहोश होके जल्द तुझे होश आ गयामैं बदनसीब होश में आया नहीं अभी
खुलता नहीं है हालखुलता नहीं है हाल..खुलता नहीं है हाल किसी पर कहे बग़ैरपर दिल की जान लेते हैं दिलबर कहे बग़ैरमैं कैसे कहूँ तुम आओ कि दिल की कशिश से वोआयेँगे दौड़े आप मेरे घर कहे बग़ैरक्या ताब क्या मजाल हमारी कि बोसा लेंलब को तुम्हारे लब से मिलाकर कहे बग़ैरबेदर्द तू सुने ना सुने लेक दर्द-ए-दिलरहता नहीं है आशिक़-ए-मुज़तर कहे बग़ैरतकदीर के सिवा नहीं मिलता कहीं से भीदिलवाता ऐ "ज़फ़र" है मुक़द्दर कहे बग़ैर
उस शाम वो रुखसत काउस शाम वो रुखसत का..उस शाम वो रुखसत का समां याद रहेगावो शहर, वो कूचा, वो मकां याद रहेगावो टीस कि उभरी थी इधर याद रहेगावो दर्द कि उभरी थी उधर याद रहेगाहाँ बज़्में-शबां में हमशौक जो उस दिनहम थे तेरी जानिब निगरा याद रहेगाकुछ मीर के अबियत थे, कुछ फैज़ के मिसरेएक दर्द का था जिनमे बयाँ, याद रहेगाहम भूल सके हैं न तुझे भूल सकेंगेतू याद रहेगा हमें, हाँ याद रहेगा