तस्वीर का रुखतस्वीर का रुतस्वीर का रुख एक नहीं दूसरा भी हैखैरात जो देता है वही लूटता भी हैईमान को अब लेके किधर जाइयेगा आपबेकार है ये चीज कोई पूछता भी हैबाज़ार चले आये वफ़ा भी, ख़ुलूस भीअब घर में बचा क्या है कोई सोचता भी हैवैसे तो ज़माने के बहुत तीर खाये हैंपर इनमें कोई तीर है जो फूल सा भी हैइस दिल ने भी फ़ितरत किसी बच्चे सी पाई हैपहले जिसे खो दे उसे फिर ढूँढता भी है
दिन सलीके से उगादिन सलीके से उगा..दिन सलीके से उगा रात ठिकाने से रहीदोस्ती अपनी भी कुछ रोज़ ज़माने से रहीचंद लम्हों को ही बनती हैं मुसव्विर आँखेजिंदगी रोज़ तो तस्वीर बनाने से रहीइस अँधेरे में तो ठोकर ही उजाला देगीरात, जंगल में कोई शम्मा जलाने से रहीफ़ासला, चाँद बना देता है हर पत्थर कोदूर की रौशनी नज़दीक तो आने से रहीशहर में सबको कहाँ मिलती है रोने की जगहअपनी इज्ज़त भी यहाँ हंसने-हंसाने से रही
कुछ पल में ज़िंदगी की तस्वीर बन जाती हैकुछ पल में ज़िंदगी की तस्वीर बन जाती हैकुछ पल में ज़िंदगी की तक़दीर बदल जाती हैकिसी को पा कर कभी खोना मत मेरे दोस्तक्योंकि एक जुदाई से पूरी ज़िंदगी बिखर जाती है
कुछ ही पलों में ज़िन्दगी की तस्वीर बदल जाती हैकुछ ही पलों में ज़िन्दगी की तस्वीर बदल जाती हैकुछ ही पलों में ज़िन्दगी की तक़दीर बदल जाती हैकभी किसी को अपना बना कर दूर मत जानाक्योंकि एक ही जुदाई से किसी की पूरी ज़िन्दगी बिखर जाती है
कुछ ही पलों में ज़िन्दगी की तस्वीर बदल जाती हैकुछ ही पलों में ज़िन्दगी की तस्वीर बदल जाती हैकुछ ही पलों में ज़िन्दगी की तक़दीर बदल जाती हैकभी किसी को अपना बना कर दूर मत जानाक्योंकि एक ही जुदाई से किसी की पूरी ज़िन्दगी बिखर जाती है
उनकी तस्वीर को सीने से लगा लेते हैउनकी तस्वीर को सीने से लगा लेते हैइस तरह जुदाई का गम उठा लेते हैकिसी तरह ज़िक्र हो जाए उनकातो हंस कर भीगी पलके झुका लेते है