तू भी चुप है मैं भी चुप हूँ यह कैसी तन्हाई हैतू भी चुप है मैं भी चुप हूँ यह कैसी तन्हाई हैतेरे साथ तेरी याद आई, क्या तू सचमुच आई हैशायद वो दिन पहला दिन था पलकें बोझल होने कामुझ को देखते ही जब उन की अँगड़ाई शरमाई हैउस दिन पहली बार हुआ था मुझ को रफ़ाक़ात का एहसासजब उस के मलबूस की ख़ुश्बू घर पहुँचाने आई हैहुस्न से अर्ज़ ए शौक़ न करना हुस्न को ज़ाक पहुँचाना हैहम ने अर्ज़ ए शौक़ न कर के हुस्न को ज़ाक पहुँचाई हैएक तो इतना हब्स है फिर मैं साँसें रोके बैठा हूँवीरानी ने झाड़ू दे के घर में धूल उड़ाई है
तमन्ना से नहीं तन्हाई से डरते हैंतमन्ना से नहीं तन्हाई से डरते हैंप्यार से नहीं रुसवाई से डरते हैंमिलने की चाहत तो बहुत है परमिलने के बाद की जुदाई से डरते है
तन्हाई में सताती है उसकी याद ऐसेतन्हाई में सताती है उसकी याद ऐसे, चले आते हैं आँखों में आंसू जैसेमेरा हुक्म है ये तुम्हे दया कि पता लगाओ मुन्नी बदनाम हुई तो हुई कैसे!
कभी ग़म तो कभी तन्हाई मार गयीकभी ग़म तो कभी तन्हाई मार गयीकभी याद आ कर उनकी जुदाई मार गयीबहुत टूट कर चाहा जिसको हमनेआखिर में उनकी ही बेवफाई मार गयी
आज ये तन्हाई का एहसास कुछ ज्यादा हैआज ये तन्हाई का एहसास कुछ ज्यादा हैतेरे संग ना होना का मलाल कुछ ज्यादा हैफिर भी काट रहे हैं जिए जाने की सज़ा यही सोचकरशायद इस ज़िंदगानी में मेरे गुनाह कुछ ज्यादा हैं
जब महफ़िल में भी तन्हाई पास होजब महफ़िल में भी तन्हाई पास होरोशनी में भी अँधेरे का एहसास होतब किसी खास की याद में मुस्कुरा दोशायद वो भी आपके इंतजार में उदास हो