तमाम नींदें गिरवी हैं हमारी उसके पासतमाम नींदें गिरवी हैं हमारी उसके पासजिससे ज़रा सी मुहब्बत की थी हमनें
कभी लफ्ज़ भूल जाऊंकभी लफ्ज़ भूल जाऊं, कभी बात भूल जाऊंतूझे इस क़द्र चाहूँ के अपनी ज़ात भूल जाऊंउठ के तेरे पास से जो में चल दूँजाते हुए खुद को तेरे पास भूल जाऊं
बेवजह हम वजह ढूंढ़ते हैं तेरे पास आने कोबेवजह हम वजह ढूंढ़ते हैं तेरे पास आने कोये दिल बेकरार है तुझे धड़कन में बसाने कोबुझी नहीं प्यास इन होंठों की अभीन जाने कब मिलेगा सुकून तेरे इस दीवाने को
अगर तुम्हें यकीन नहीं तो कहने को कुछ नहीं मेरे पासअगर तुम्हें यकीन नहीं तो कहने को कुछ नहीं मेरे पासअगर तुम्हें यकीन हैं तो मुझे कुछ कहने की ज़रूरत नहीं
दूर रह कर भी जो समाया है मेरी रूह मेंदूर रह कर भी जो समाया है मेरी रूह मेंपास वालों पर वो शख्स कितना असर रखता होगा
तेरा इश्क़ ही है मेरी बंदगीतेरा इश्क़ ही है मेरी बंदगी, मुझे और कुछ तो खबर नहींतुझे देख कर देखूँ और कहीं, अब मेरे पास वो नज़र नहीं