मोहबबत में नहीं है फ़र्क जी ने और मरने कामोहबबत में नहीं है फ़र्क जी ने और मरने काउसी को देख कर जीते हैं जिस क़ाफ़िर पे दम निकले
क्या ज़रूरी है कि हम हार के जीतें 'तबिश'क्या ज़रूरी है कि हम हार के जीतें 'तबिश'इश्क़ का खेल बराबर भी तो हो सकता है