ग़म-ए-हयात ने आवारा कर दिया वर्नाग़म-ए-हयात ने आवारा कर दिया वर्नाथी आरजू तेरे दर पे सुबह-ओ-शाम करेंग़म-ए-हयात = ज़िन्दगी का ग़
तुने ये फूल जोतुने ये फूल जो..तुने ये फूल जो ज़ुल्फ़ों में लगा रखा हैएक दिया है जो अँधेरों में जला रखा हैजीत ले जाये कोई मुझको नसीबों वालाज़िन्दगी ने मुझे दाओ पे लगा रखा हैजाने कब आये कोई दिल में झाँकने वालाइस लिये मैंने ग़िरेबाँ को खुला रखा हैइम्तेहाँ और मेरी ज़ब्त का तुम क्या लोगेमैंने धड़कन को भी सीने में छुपा रखा है
आज कुछ ज़िन्दगी में कमी है तेरे बगैरआज कुछ ज़िन्दगी में कमी है तेरे बगैरना रंग है ना रौशनी है तेरे बगैरवक़्त चल रहा है अपनी ही रफ़्तार सेबस थम गयी है धड़कन एक तेरे बगैर
तेरी किताब के हर्फ़े:तेरी किताब के हर्फ़ेतेरी किताब के हर्फ़े समझ नहीं आतेऐ ज़िन्दगी तेरे फ़लसफ़े समझ नहीं आतेकितने पन्नें हैं, किसको संभाल कर रखूँऔर कौन से फाड़ दूँ सफे, समझ नहीं आतेचौंकाया है ज़िन्दगी यूँ हर मोड़ पर तुमनेबाक़ी कितने हैं शगूफे समझ नहीं आतेहम तो ग़म में भी ठहाके लगाया करते थेअब आलम ये है कि लतीफे समझ नहीं आतेतेरा शुकराना जो हर नेमत से नवाज़ा मुझकोपर जाने क्यों अब तेरे तोहफ़े समझ नहीं आते