ये चाँदनी भी जिन कोये चाँदनी भी जिन को..ये चाँदनी भी जिन को छूते हुए डरती हैदुनिया उंहीं फूलों कोपैरों से मसलती हैशोहरत की बुलंदी भी पल भर का तमशा हैजिस डाल पे बैठे हो वो टूट भी सकती हैलोबान में चिंगारी जैसे कोई रख देयूँ याद तेरी शब भर सीने में सुलगती हैआ जाता है ख़ुद खेँच कर दिल सीने से पटरी परजब रात की सरहद से इक रेल गुज़रती हैआँसू कभी पलकों पर ता देर नहीं रुकतेउड़ जाते हैं उए पंछी जब शाख़ लचकती हैख़ुश रंग परिंदों के लौट आने के दिन आयेबिछड़े हुए मिलते हैं जब बर्फ़ पिघलती है
ये चाँदनी भी जिन कोये चाँदनी भी जिन को..ये चाँदनी भी जिन को छूते हुए डरती हैदुनिया उन्हीं फूलों को पैरों से मसलती हैशोहरत की बुलंदी भी पल भर का तमशा हैजिस डाल पर बैठे हो वो टूट भी सकती हैलोबान में चिंगारी जैसे कोई रख देयूँ याद तेरी शब भर सीने में सुलगती हैआ जाता है ख़ुद खींच कर दिल सीने से पटरी परजब रात की सरहद से इक रेल गुज़रती हैआँसू कभी पलकों पर तो देर तक नहीं रुकतेउड़ जाते हैं वे पंछी जब शाख़ लचकती हैख़ुश रंग परिंदों के लौट आने के दिन आयेबिछड़े हुए मिलते हैं जब बर्फ़ पिघलती है