इक बार दिखाकर चले जाओ झलक अपनीइक बार दिखाकर चले जाओ झलक अपनीहम जल्वा-ए-पैहम के तलबगार कहाँ हैजल्वा-ए-पैहम - लगातार दर्शतलबगार - ख्वाहिशमंद, मुश्ताक, अभिलाषी
ना हम रहे दिल लगाने के काबिलना हम रहे दिल लगाने के काबिलना दिल रहा ग़म उठाने के काबिललगे उसकी यादों के जो ज़ख़्म दिल परना छोड़ा उसने फिर मुस्कुराने के काबिल