हवा बन करहवा बन कर...हवा बन कर बिखरने से;उसे क्या फ़र्क़ पड़ता है;..मेरे जीने या मरने से;उसे क्या फ़र्क़ पड़ता है;..उसे तो अपनी खुशियों से;ज़रा भी फुर्सत नहीं मिलती;..मेरे ग़म के उभरने से;उसे क्या फ़र्क़ पड़ता है;..उस शख्स की यादों में;मैं चाहे रोते रहूँ लेकिन;..मेरे ऐसा करने से;उसे क्या फ़र्क़ पड़ता है।
खुदा करे कि तुझे खुशियों का संसार मिलेखुदा करे कि तुझे खुशियों का संसार मिलेहर पल तुझे खुशियाँ हज़ार मिलेंरब्ब करे तेरी गर्लफ्रेंड तुझे राखी बांध जाएऔर तुझे एक और बहन का प्यार मिले
कोई खुशियों की चाह में रोयाकोई खुशियों की चाह में रोयाकोई दुखों की पनाह में रोयाअजीब सिलसिला है ये ज़िन्दगी काकोई भरोसे के लिए रोयाऔर कोई ऐतबार कर के रोया
तुम्हारी खुशियों के ठिकाने बहुत होंगे मगरतुम्हारी खुशियों के ठिकाने बहुत होंगे मगरहमारी बेचैनियों की वजह बस तुम हो
खुशियों से नाराज़ है मेरी ज़िन्दगीखुशियों से नाराज़ है मेरी ज़िन्दगीबस प्यार की मोहताज़ है मेरी ज़िन्दगीहँस लेता हूँ लोगों को दिखाने के लिएवैसे तो दर्द की किताब है मेरी ज़िन्दगी
Hindi Shayari, Ruh ke rishto kiरूह के रिश्तों की ये गहराइयाँ तो देखियेचोट लगती है हमें और चिल्लाती है माँचाहे हम खुशियों में माँ को भूल जायें दोस्तोंजब मुसीबत सर पे आ जाए, तो याद आती है माँ