बुत-ख़ाना तोड़ डालिए मस्जिद को ढाइएबुत-ख़ाना तोड़ डालिए मस्जिद को ढाइएदिल को न तोड़िए ये ख़ुदा का मक़ाम है
बात करनी मुझेबात करनी मुझे..बात करनी मुझे मुश्किल कभी ऐसी तो न थीजैसी अब है तेरी महफ़िल कभी ऐसी तो न थीले गया छीन के कौन आज तेरा सब्र-ओ-क़रारबेक़रारी तुझे ऐ दिल कभी ऐसी तो न थीउन की आँखों ने ख़ुदा जाने किया क्या जादूके तबीयत मेरी माइल कभी ऐसी तो न थीचश्म-ए-क़ातिल मेरी दुश्मन थी हमेशा लेकिनजैसी अब हो गई क़ातिल कभी ऐसी तो न थीक्या सबब तू जो बिगड़ता है 'ज़फ़र' से हर बारख़ू तेरी हूर-ए-शमाइल कभी ऐसी तो न थी