आफत की शोख़ियां हैंआफत की शोख़ियां हैं..आफत की शोख़ियां हैं तुम्हारी निगाह मेंमेहशर के फितने खेलते हैं जल्वा-ए-गाह मेंवो दुश्मनी से देखते हैं देखते तो हैंमैं शाद हूँ कि हूँ तो किसी की निगाह मेंआती है बात बात मुझे याद बार बारकहता हूँ दौड़ दौड़ के कासिद से राह मेंइस तौबा पर है नाज़ मुझे ज़ाहिद इस कदरजो टूट कर शरीक हूँ हाल-ए-तबाह मेंमुश्ताक इस अदा के बहुत दर्दमंद थेऐ दाग़ तुम तो बैठ गये एक आह में
आफत की शोख़ियां हैंआफत की शोख़ियां हैं..आफत की शोख़ियां हैं तुम्हारी निगाह मेंमेहशर के फितने खेलते हैं जल्वा-गाह मेंवो दुश्मनी से देखते हैं देखते तो हैंमैं शाद हूँ कि हूँ तो किसी कि निगाह मेंआती है बात बात मुझे याद बार बारकहता हूं दौड़ दौड़ के कासिद से राह मेंइस तौबा पर है नाज़ मुझे ज़ाहिद इस कदरजो टूट कर शरीक हूँ हाल-ए-तबाह मेंमुश्ताक इस अदा के बहुत दर्दमंद थेऐ 'दाग़' तुम तो बैठ गये एक आह में