निगाहें आज भी उस शख्स को शिद्दत से तलाश करती हैंनिगाहें आज भी उस शख्स को शिद्दत से तलाश करती हैंजिसने कहा था, "बस दसवी कर लो, आगे पढ़ाई आसान है"
ए वाइज़-ए-नादाँ करता है तू एक क़यामत का चर्चाए वाइज़-ए-नादाँ करता है तू एक क़यामत का चर्चायहाँ रोज़ निगाहें मिलती हैं, यहाँ रोज़ क़यामत होती है
वो जज़्बों की तिजारत थीवो जज़्बों की तिजारत थी, यह दिल कुछ और समझा थाउसे हँसने की आदत थी, यह दिल कुछ और समझा थामुझे देख कर अक्सर वो निगाहें फेर लेते थेवो दर-ए-पर्दा हकारत थी, यह दिल कुछ और समझा थाशब्दार्हकारत = नफर
एक तो ये कातिल सर्दीएक तो ये कातिल सर्दी, ऊपर से तेरी यादों की धुंधबेहाल कर रखा है, इश्क के मौसमों ने
हमसे बदल गये वो निगाहें तो क्या हुआ हमसे बदल गये वो निगाहें तो क्या हुआ जिंदा हैं कितने लोग मोहब्बत किये बगैर
प्यासी ये निगाहें तरसती रहती हैंप्यासी ये निगाहें तरसती रहती हैंतेरी याद में अक्सर बरसती रहती हैंहम तेरे ख्यालों में डूबे रहते हैंऔर ये ज़ालिम दुनिया हम पे हँसती रहती है।