आँखों के इंतज़ार कोआँखों के इंतज़ार को..आँखों के इंतज़ार को दे कर हुनर चला गया;चाहा था एक शख़्स को जाने किधर चला गया;दिन की वो महफिलें गईं, रातों के रतजगे गए;कोई समेट कर मेरे शाम-ओ-सहर चला गया;झोंका है एक बहार का रंग-ए-ख़याल यार भी;हर-सू बिखर-बिखर गई ख़ुशबू जिधर चला गया;उसके ही दम से दिल में आज धूप भी चाँदनी भी है;देके वो अपनी याद के शम्स-ओ-क़मर चला गया.कूचा-ब-कूचा दर-ब-दर कब से भटक रहा है दिलहमको भुला के राह वो अपनी डगर चला गया
उसने कहा अब किसका इंतज़ार हैउसने कहा अब किसका इंतज़ार हैमैंने कहा अब मोहब्बत बाकी हैउसने कहा तू तो कब का गुजर चूका है 'मसरूर'मैंने कहा अब भी मेरा हौसला बाकी है
उनके आने के इंतज़ार में हमनेंउनके आने के इंतज़ार में हमनेंसारे रास्ते दिएँ से जलाकर रोशन कर दिएउन्होंने सोचा कि मिलने का वादा तो रात का थावो सुबह समझ कर वापस चल दिए
कहीं वो आ के मिटा दें न इंतज़ार का लुत्फ़कहीं वो आ के मिटा दें न इंतज़ार का लुत्फ़कहीं क़ुबूल न हो जाए इल्तिजा मेरी