जब लफ्ज़ थक गए तो फिर आँखों ने बात कीजब लफ्ज़ थक गए तो फिर आँखों ने बात कीजो आँखें भी थक गयीं तो अश्कों से बात हुई
अब उठती नहीं हैं आँखेंअब उठती नहीं हैं आँखें, किसी और की तरफपाबन्द कर गयीं हैं शायद, किसी की नज़रें मुझे
मत ढूंढ़ा कर मेरी आँखों में इश्क का हिसाबमत ढूंढ़ा कर मेरी आँखों में इश्क का हिसाबतुम्हें चाहने का मैंने कभी हिसाब नहीं किया
ये आईने क्या दे सकेंगे तुम्हे तुम्हारी शख्सियत की खबरये आईने क्या दे सकेंगे तुम्हे तुम्हारी शख्सियत की खबरकभी हमारी आँखो से आकर पूछो, कितने लाजवाब हो तुम
इन होठों को परदे में छुपा लिया कीजियेइन होठों को परदे में छुपा लिया कीजियेहम गुस्ताख़ लोग हैं, आँखों से चूम लिया करते हैं