अश्क आंखों मेंअश्क आंखों में..अश्क आँखों में कब नहीं आतालहू आता है जब नहीं आताहोश जाता नहीं रहा लेकिनजब वो आता है तब नहीं आतादिल से रुखसत हुई कोई ख्वाहिशगिरिया कुछ बे-सबब नहीं आताइश्क का हौसला है शर्त वरनाबात का किस को ढब नहीं आताजी में क्या-क्या है अपने ऐ हमदमहर सुखन ता बा-लब नहीं आता
कब ठहरेगा दर्द-ए-दिलकब ठहरेगा दर्द-ए-दिल, कब रात बसर होगीसुनते थे वो आयेंगे, सुनते थे सहर होगीकब जान लहू होगी, कब अश्क गुहार होगाकिस दिन तेरी शनवाई, ऐ दीदा-ए-तर होगीकब महकेगी फसले-गुल, कब बहकेगा मयखानाकब सुबह-ए-सुखन होगी, कब शाम-ए-नज़र होगीवाइज़ है न जाहिद है, नासेह है न क़ातिल हैअब शहर में यारों की, किस तरह बसर होगीकब तक अभी रह देखें, ऐ कांटे-जनानाकब अश्र मुअय्यन है, तुझको तो ख़बर होगी
जान-ए-तनहा पे गुज़र जायें हज़ारों सदमेंजान-ए-तनहा पे गुज़र जायें हज़ारों सदमेंआँख से अश्क रवाँ हों ये ज़रूरी तो नहीं
फिर आज अश्क से आँखों में क्यों हैं आये हुएफिर आज अश्क से आँखों में क्यों हैं आये हुएगुज़र गया है ज़माना तुझे भुलाये हुए
बच्चा था भूखा और आँखों में अश्क जरुर थाबच्चा था भूखा और आँखों में अश्क जरुर थाउस फरिश्ते का करिश्मा भी एक फितूर थागोद में बसी माया ने उस भूख को भुला दियामाँ की लोरी के जादू ने उसे फिर से सुला दिया