अजनबी ख्वाहिशेंअजनबी ख्वाहिशें... अजनबी ख्वाहिशें सीने में दबा भी न सकूँ;ऐसे जिद्दी हैं परिन्दें कि उड़ा भी न सकूँ;फूँक डालूँगा किसी रोज़ मैं दिल की दुनिया;ये तेरा ख़त तो नहीं है कि जला भी न सकूँ;मेरी ग़ैरत भी कोई शय है कि महफ़िल में मुझे;उसने इस तरह बुलाया कि मैं जा भी न सकूँ;इक न इक रोज़ कहीं ढूंढ ही लूँगा तुझको;ठोकरें ज़हर नहीं हैं कि मैं खा भी न सकूँ
हम कुछ ना कह सके उनसेहम कुछ ना कह सके उनसे, इतने जज्बातों के बादहम अजनबी के अजनबी ही रहे इतनी मुलाकातो के बाद
बन के अजनबी मिले थे जिन्दगी के सफर मेंबन के अजनबी मिले थे जिन्दगी के सफर मेंइन यादों के लम्हों को मिटायेंगे नहींअगर याद रखना फितरत है आपकीतो वादा है हम भी आपको कभी भुलायेंगे नहीं
बनकर अजनबी मिले थे जिन्दगी के सफर मेंबनकर अजनबी मिले थे जिन्दगी के सफर मेंइन यादों के लम्हों को मिटायेंगे नहीअगर याद रखना फितरत है आपकीतो वादा है हम भी आपको कभी भुलायेंगे नही
अजनबी शहर के अजनबी रास्तेअजनबी शहर के अजनबी रास्ते, मेरी तन्हाई पर मुस्कुराते रहेमैं बहुत दूर तक यूँ ही चलता रहा, तुम बहुत देर तक याद आते रहे
बन कर अजनबी मिले थे ज़िंदगी के सफ़र मेंबन कर अजनबी मिले थे ज़िंदगी के सफ़र मेंइन यादों के लम्हों को मिटायेंगे नहींअगर याद रखना फितरत है आपकीतो वादा है हम भी आपको भुलायेंगे नहीं