राहत-ए-जाँ से तो ये दिलराहत-ए-जाँ से तो ये दिल..राहत-ए-जाँ से तो ये दिल का बवाल अच्छा हैउस ने पूछा तो है इतना तेरा हाल अच्छा हैमाह अच्छा है बहुत ही न ये साल अच्छा हैफिर भी हर एक से कहता हूँ कि हाल अच्छा हैतेरे आने से कोई होश रहे या न रहेअब तलक तो तेरे बीमार का हाल अच्छा हैये भी मुमकिन है तेरी बात ही बन जाए कोईउसे दे दे कोई अच्छी सी मिसाल अच्छा हैदाएँ रुख़्सार पे आतिश की चमक वजह-ए-जमालबाएँ रुख़्सार की आग़ोश में ख़ाल अच्छा हैक्यों परखते हो सवालों से जवाबों को 'अदीम'होंठ अच्छे हों तो समझो कि सवाल अच्छा है
सख़्तियाँ करता हूँ दिल परसख़्तियाँ करता हूँ दिल पर..सख़्तियाँ करता हूँ दिल पर ग़ैर से ग़ाफ़िल हूँ मैंहाय क्या अच्छी कही ज़ालिम हूँ मैं जाहिल हूँ मैंहै मेरी ज़िल्लत ही कुछ मेरी शराफ़त की दलीलजिस की ग़फ़लत को मलक रोते हैं वो ग़ाफ़िल हूँ मैंबज़्म-ए-हस्ती अपनी आराइश पे तू नाज़ाँ न होतू तो इक तस्वीर है महफ़िल की और महफ़िल हूँ मैंढूँढता फिरता हूँ ऐ 'इक़बाल' अपने आप कोआप ही गोया मुसाफ़िर आप ही मंज़िल हूँ मैं
अच्छी सूरत को सवारने की ज़रूरत क्या हैअच्छी सूरत को सवारने की ज़रूरत क्या हैसादगी भी तो क़यामत की अदा होती है
अच्छी सूरत नज़र आते ही मचल जाता हैअच्छी सूरत नज़र आते ही मचल जाता हैकिसी आफ़त में न डाले दिल-ए-नाशाद मुझे
अच्छी सूरत नज़र आते ही मचल जाता हैअच्छी सूरत नज़र आते ही मचल जाता हैकिसी आफ़त में न डाले दिल-ए-नाशाद मुझे