कभी अकेले में मिलकभी अकेले में मिल..कभी अकेले में मिल कर झंझोड़ दूंगा उसेजहाँ-जहाँ से वो टूटा है जोड़ दूंगा उसे;मुझे छोड़ गया ये कमाल है उस काइरादा मैंने किया था के छोड़ दूंगा उसेपसीने बांटता फिरता है हर तरफ सूरजकभी जो हाथ लगा तो निचोड़ दूंगा उसे.मज़ा चखा के ही माना हूँ मैं भी दुनिया कोसमझ रही थी के ऐसे ही छोड़ दूंगा उसे.बचा के रखता है खुद को वो मुझ से शीशाबदन;उसे ये डर है के तोड़-फोड़ दूंगा उसे
कभी अकेले में मिलकभी अकेले में मिल..कभी अकेले में मिल कर झंझोड़ दूंगा उसेजहाँ-जहाँ से वो टूटा है जोड़ दूंगा उसे;मुझे छोड़ गया ये कमाल है उस काइरादा मैंने किया था के छोड़ दूंगा उसेपसीने बांटता फिरता है हर तरफ सूरजकभी जो हाथ लगा तो निचोड़ दूंगा उसे.मज़ा चखा के ही माना हूँ मैं भी दुनिया कोसमझ रही थी के ऐसे ही छोड़ दूंगा उसे.बचा के रखता है खुद को वो मुझ से शीशाबदन;उसे ये डर है के तोड़-फोड़ दूंगा उसे
जाने क्यों अकेले रहने को मज़बूर हो गएजाने क्यों अकेले रहने को मज़बूर हो गएयादों के साये भी हमसे दूर हो गएहो गए तन्हा इस महफ़िल मेंकि हमारे अपने भी हमसे दूर हो गए
अकेले हम ही शामिल नहीं हैं इस जुर्म में जनाबअकेले हम ही शामिल नहीं हैं इस जुर्म में जनाबनजरें जब भी मिली थी मुस्कराये तुम भी थे