हुस्ने जानां ने करम जब से किया है मुझपेहुस्ने जानां ने करम जब से किया है मुझपज़िन्दगी में मेरी खुशियों के गुले तर आयेआ गया बन के भगत सिंह कोई अशफा उलतज़ुल्म जब हिन्द पे ढाने को सितमगर आय
तेरी मौजूदगी महसूस वो करे जो जुदा हो तुझसेतेरी मौजूदगी महसूस वो करे जो जुदा हो तुझसे..मैंने तो अपने आप में तुझे बसाया है एक एहसास की तरह..!
छुपा रखा है मैने सनम को अपनी बाहों मेंछुपा रखा है मैने सनम को अपनी बाहों में..लोगो को आज आसमां मेँ चाँद नही दिखेगा..!
दग़ा गर यूं ही देनी थी हमारे पास आए क्योंदग़ा गर यूं ही देनी थी हमारे पास आए क्योवफ़ा तो हमने की थी फिर दुखों के फिर है साए क्यो
कर्मो से ही पहचान होती है इंसानों कीकर्मो से ही पहचान होती है इंसानों की.अच्छे कपड़े तो बेजान पुतलो को भी पहनाये जाते है..।