रात बड़ी मुश्किल से खुद को सुलाया है मैंनेरात बड़ी मुश्किल से खुद को सुलाया है मैंनेअपनी आँखों को 'तेरे ख्वाब' का लालच देकर
वो कह कर गया था मैं लौटकर आउंगावो कह कर गया था मैं लौटकर आउंगामैं इंतजार ना करता तो क्या करतावो झूठ भी बोल रहा था बड़े सलीके सेमैं एतबार ना करता तो क्या क्या करता
हमने ये शाम चराग़ों से सजा रक्खी हैहमने ये शाम चराग़ों से सजा रक्खी है;आपके इंतजार में पलके बिछा रखी हैंहवा टकरा रही है शमा से बार-बार;और हमने शर्त इन हवाओं से लगा रक्खी है
एक मुद्दत से मेरे हाल से बेगाना हैएक मुद्दत से मेरे हाल से बेगाना है;जाने ज़ालिम ने किस बात का बुरा माना है;मैं जो जिंदगी हूँ तो वो भी हैं अना का कैदी;मेरे कहने पर कहाँ उसने चले आना है।
जो तीर भी आता वो खाली नहीं जाताजो तीर भी आता वो खाली नहीं जातामायूस मेरे दिल से सवाली नहीं जाताकाँटे ही किया करते हैं फूलों की हिफाज़तफूलों को बचाने कोई माली नहीं जाता
वो रुख्सत हुई तो आँख मिलाकर नहीं गईवो रुख्सत हुई तो आँख मिलाकर नहीं गईवो क्यों गई यह बताकर नहीं गईलगता है वापिस अभी लौट आएगीवो जाते हुए चिराग़ बुझाकर नहीं गई