कैसे मुमकिन था किसी और दवा से इलाज़कैसे मुमकिन था किसी और दवा से इलाज़अय ग़ालिबइश्क का रोग था.. "माँ की चप्पल से ही आराम आया।
आंसू टपक पड़े बेरोजगार के उस एहसास पर ग़ालिबआंसू टपक पड़े बेरोजगार के उस एहसास पर ग़ालिबकि आंसू टपक पड़े बेरोजगार के उस एहसास पर ग़ालिबजब माँ ने कहा"बेटा खाली बैठा है, जा मटर ही छील ले।
हक़ीकत थी पर ख़्वाब निकलाहक़ीकत थी पर ख़्वाब निकलादूर था पर पास निकलामैं इस बात को क्या कहूंये ज़रदारी तो मुसर्रफ़ का भी बाप निकला
दिल की धड़कन रुक सी गईदिल की धड़कन रुक सी गईसांसें मेरी थम सी गईपूछा हमने दिल के डॉक्टर से तो पता चलाकि सर्दी के कारण आपकी यादें दिल में जम सी गई
अय दोस्त मत कर इन हसीनाओं से मोहब्बतअय दोस्त मत कर इन हसीनाओं से मोहब्बतवह आँखों और बातों से वार करती हैंमैंने तेरी वाली की आँखों में देखा हैवो मुझसे भी प्यार करती है
गिले शिकवे दिल से न लगा लेनागिले शिकवे दिल से न लगा लेनाकभी रूठ जाऊं तो मना लेनाकल का क्या पता हम हो न होइसलिए जब भी मिलूंकभी समोसा और कभी पानी पूरी खिला देना