कुछ अलग था कहने का अंदाज़ उनकाकुछ अलग था कहने का अंदाज़ उनकाकि सुना भी कुछ नहीं और कहा भी कुछ नहींकुछ इस तरह बिखरे उनके प्यार में हमकि टूटा भी कुछ नहीं और बचा भी कुछ नहीं
मेरे दिल के दर्द को किसने देखा हैमेरे दिल के दर्द को किसने देखा हैमुझे बस मेरे खुदा ने तड़पते देखा हैहम तन्हाई में बैठे रोते हैंलोगों ने हमे महफ़िल में हँसते देखा है
जाने क्या मुझसे ज़माना चाहता हैजाने क्या मुझसे ज़माना चाहता हैमेरा दिल तोड़कर मुझे ही हँसाना चाहता हैजाने क्या बात झलकती है मेरे चेहरे सेहर शख्स बस मुझे ही आज़माना चाहता है
एक वफ़ा को पाने की कोशिश मेंएक वफ़ा को पाने की कोशिश मेंज़ख़्मी होती हैं वफ़ाएं कितनीकितना मासूम सा लगता है लफ्ज़ मोहब्बत काऔर इस लफ्ज़ से मिलती हैं सजाएं कितनी
सोचता हूँ कि अपने सारे अरमान भेज दूँसोचता हूँ कि अपने सारे अरमान भेज दूँदुआओं में अपनी तुम्हारा नाम भेज दूँदिन खिला और दिल को तुम याद आयेतो सोचा कि प्यारा सा सलाम भेज दूँ
दुनिया है पत्थर की जज़्बात नहीं समझतीदुनिया है पत्थर की जज़्बात नहीं समझतीदिल में जो छुपी है वो बात नहीं समझतीचाँद तनहा है तारो की इस बारात मेंदर्द मगर चाँद का ज़ालिम यह रात नहीं समझती