बंध जाये किसी से रूह का बंधनबंध जाये किसी से रूह का बंधनतो इजहार ए मोहब्बत को अल्फ़ाज़ों की जरुरत नहीं होती
इश्क़ कर लीजिये बेइंतेहा किताबों सेइश्क़ कर लीजिये बेइंतेहा किताबों सेएक यही हैं जो अपनी बातों से पलटा नहीं करतीं
तुम्हारी एक मुस्कान से सुधर गई तबियत मेरीतुम्हारी एक मुस्कान से सुधर गई तबियत मेरीबताओ ना तुम इश्क करते हो या इलाज करते हो
हैं परेशानियाँ यूँ तो बहुत सी ज़िंदगी मेंहैं परेशानियाँ यूँ तो बहुत सी ज़िंदगी मेंतेरी मोहब्बत सा मगर, कोई तंग नहीं करता
हक़ीक़त हो तुम कैसे तुझे सपना कहूँहक़ीक़त हो तुम कैसे तुझे सपना कहूँतेरे हर दर्द को में अपना कहूँसब कुछ क़ुर्बान है मेरे प्यार परकौन है तेरे सिवा जिसे में अपना कहूँ