दिल पे तन्हाई के सियाह अब्र छाने लगे हैंदिल पे तन्हाई के सियाह अब्र छाने लगे हैंतेरे ग़म की लगता है बरसात होने वाली है
इक बार दिखाकर चले जाओ झलक अपनीइक बार दिखाकर चले जाओ झलक अपनीहम जल्वा-ए-पैहम के तलबगार कहाँ हैजल्वा-ए-पैहम - लगातार दर्शतलबगार - ख्वाहिशमंद, मुश्ताक, अभिलाषी
नहीं जो दिल में जगह तो नजर में रहने दोनहीं जो दिल में जगह तो नजर में रहने दोमेरी हयात को तुम अपने असर में रहने दोमैं अपनी सोच को तेरी गली में छोड़ आया हूँमेरे वजूद को ख़्वाबों के घर में रहने दो
ऐसे माहौल में दवा क्या है दुआ क्या हैऐसे माहौल में दवा क्या है दुआ क्या है;जहां कातिल ही खुद पूछे कि हुआ क्या है
कौन सा रंग लगाऊं तेरे चेहरे परकौन सा रंग लगाऊं तेरे चेहरे परकि मेरा मन तो पहले ही तेरे रंग में रंग चुका है