फरवरी आयी है नया नाम लेकरफरवरी आयी है नया नाम लेकर, कुछ खबर कुछ इल्जाम लेकरमोहबत का महीना है, सम्भल कर रहना कोई छोड ना जाये झूठा पेगाम देकर
शहर में सबको कहाँ मिलती है रोने की जगहशहर में सबको कहाँ मिलती है रोने की जगहअपनी इज़्ज़त भी यहाँ हँसने हंसाने से रही
दूर रहकर भी जो समाया है मेरी रूह मेंदूर रहकर भी जो समाया है मेरी रूह मेंपास वालों पर वो शख्स कितना असर रखता होगा
मैं आज कल उनकी आँखों में नही देखतामैं आज कल उनकी आँखों में नही देखताकहते हैं, रमजान में हर नशा हराम होता है