जब भी करीब आता हूँ बताने के लिये,जिंदगी दूर रखती हैं सताने के लिये,महफ़िलों की शान न समझना मुझे,मैं तो अक्सर हँसता हूँ गम छुपाने के लिये।
इतना तो ज़िंदगी में, न किसी की खलल पड़े,हँसने से हो सुकून, न रोने से कल पड़े,मुद्दत के बाद उसने, जो की लुत्फ़ की निगाह,जी खुश तो हो गया, मगर आँसू निकल पड़े।
याद जब आती है तुम्हारी तो सिहर जाता हूँ मैं,देख कर साया तुम्हारा अब तो डर जाता हूँ मैं,अब न पाने की तमन्ना है न है खोने का डर,जाने क्यूँ अपनी ही चाहत से मुकर जाता हूँ मैं।
किसी के दिल पे क्या गुजरी हे वो अनजान क्या जाने,प्यार किसको कहते हे वो नादान क्या जाने,हवा के साथ उठा ले गया घर का परिंदा,केसे बना था ये घोसला वो तूफान क्या जाने.
नसीब के खेल भी अजीब होते है.प्यार मे आँसू ही नसीब होते है.कौन होना चाहता है अपनो से जुदापर अक्सर बिछड़ते है वो जो करीब होते है......!!!
टूटे हुए दिलो की जरुरत बहुत हैंवरना महफ़िल में रंग जमायेगा कौनजब टूटेगा ही नहीं दिल किसी कातो मयखाने में पीने आएगा कौनमयखाने वाले की दुआ हैं जो क़ुबूल हो जाती हैंऔर यहाँ हम सोचते हैं कीक्यों वो हमसे अक्सर रूठ जाती हैं
कैसे छिपाऊँ मैं मेरे दर्द को, दिल का इस पर पहरा हैं|दर्द और मेरी ज़िन्दगी का रिश्ता, बहुत ही गहरा हैं |
है नादान वो कुछ समझते नहींदिन है या रात, का फर्क जानते नहींअगर जाऊ पास भी तो डर जाते हैदर्द नहीं दवा हु मैं ये समझते नहीं
रगों में लहू बहता है मेरे पानी नहींऐसा तो कोई नहीं जिसकी कोई कहानी नहींवो सबूत मांगता है उन्ही लम्हों का अक्सरजिनकी यादें तो है मगर निशानी नहींले लो मज़ा तुम भी इस मोहब्बत कानई नई है अभी ज्यादा पुरानी नहींदबोच लो इस ज़िन्दगी को जैसे मछली हो कोईगर फिसल गई ये तो फिर हाथ आनी नहीं ।