मुझे ना ढूंढना कहीं जमीं ओ आसमां में मेरे दोस्तों.अगर मैं तुम्हारे दिलों में नहीं तो फिर कहीं भी नहीं.
मुझसे खता हुई है तुमसे दिल लगाने की!तुम भी भूल गये हो राहें पास आने की!फैली हुई दरारें हैं चाहत के दरमियाँ,कोशिशें नाकाम हैं जख्मों को भुलाने की!
तू देख या न देख, तेरे देखने का ग़म नहीं,तेरा न देखना भी तेरे देखने से कम नहीं,सामिल नहीं हैं जिसमे तेरी यादेवो जिन्दगी भी किसी जहनुम से कम नहीं.
हम भी कितने दीवाने निकले,किसको दर्द सुनाने निकले ।मुट्ठी में जिनके नमक भर था,उनको ही जख्म दिखाने निकले।
छू लूँ तुझे या तुझमें ही बस जाऊँ....#लब्ज लिखूँ या खामोश हो जाऊँ...#करूँ- इश्क या करूँ- मोहब्बत....#थोड़ा सा तो दिखा प्यार....#जिससे मैं तुझ में ही बस जाऊँ...
न ज़िद है न ग़ुरूर है हमें ,बस तुम्हें पाने का सुरुर है हमें ,इश्क़ गुनाह है तो गुनाह ही सही ,सज़ा जो भी हो मंज़ूर है हमें ..!!
कभी यूं भी तो हो ऐ ज़िंदगी,मैं रूठूं और तू मनाए.....!ख़्वाहिशों की पगडंडियोंपर मैं दौड़ूं और तू पीछे पीछे आए.....!!
मेरी आंखों के आंसू कह रहे मुझसे,अब दर्द इतना है कि सहा नहीं जाता,न रोक पलको से खुल कर छलकने दे,अब यूं इन आंखों में रहा नहीं जाता।
दर्द गूंज रहा दिल में शहनाई की तरह,जिस्म से मौत की ये सगाई तो नहीं,अब अंधेरा मिटेगा कैसे..तुम बोलो तूने मेरे घर में शम्मा जलाई तो नहीं!!