मौसम है बारिश का और याद तुम्हारी आती है, बारिश के हर कतरे से आवाज़ तुम्हारी आती है, बादल जब गरजते हैं, दिल की धड़कन बढ़ जाती है, दिल की हर इक धड़कन से आवाज़ तुम्हारी आती है, जब तेज हवायें चलती हैं तो जान हमारी जाती है, मौसम है कातिल बारिश का और याद तुम्हारी आती है|
काली काली बदरियाँ हैं छाई घटायें घुमड़ घुमड़ कर हैं आई सावन ने ली अंगडाई मन में मस्ती छाई फुहारों ने भिगोया धरती का दामन चारों और हरियाली छाई पक्षियों के करलव से गूंजा आसमान पैड पौधो पर भी रौनक छाई छलकने को बेताब हैं ताल-तलैया नदियाँ भी उफान पर हैं आई