ढलती शाम का खुला एहसास है, मेरे दिल में तेरी जगह कुछ खास है, तू नहीं है यहाँ मालूम है मुझे, पर दिल ये कहता है तू यहीं मेरे पास है
शुभ संध्या दोस्तों !!! दो नैनों में कभी बादल तो कभी पानी नज़र आ जाता है.. और उसके साथ ही ख्वाहिशें और वो ख्वाब दोनों ही गीले हो जाते हैं !!!!
ढलती शाम का खुला एहसास है, मेरे दिल में तेरी जगह कुछ खास है, तू नहीं है यहाँ मालूम है मुझे, पर दिल ये कहता है तू यहीं मेरे पास है
शुभ संध्या दोस्तों !!! दो नैनों में कभी बादल तो कभी पानी नज़र आ जाता है.. और उसके साथ ही ख्वाहिशें और वो ख्वाब दोनों ही गीले हो जाते हैं !!!!