ज़िन्दगी है कल्पनाओ की जंग,कुछ तो करो इसके लिये दबंग,जियो शान से भरो उमंग,लहराओ सब के दिल में देश के लिए तरंग.
ज़माने भर में मिलते है आशिक़ कई,मगर वतन से खूबसूरत कोई सनम नहीं होता,नोटों में लिपट कर, सोने में सिमट कर मरे है कई,मगर तिरंगे से खूबसूरत कोई कफ़न नहीं होता.Happy republic day
वह शमा जो काम आये अंजुमन के लिए,वह जज़्बा जो क़ुर्बान हो जाये वतन केलिए,रखते है हम वह हौसलें भी,जो मर मिटे हिंदुस्तान के लिए.
अलग है भाषा, धर्म जात और प्रांत, पर हम सब का एक है गौरव राष्ट्रध्वज तिरंगा श्रेष्ठ। सभी देशवासियों को गणतंत्र दिवस की हार्दिक बधाई!
वतन हमारा ऐसा कोई ना छोड पाये , रिश्ता हमारा ऐसा कोई न तोड़ पाये , दिल एक है जान एक है हमारी , हिन्दुस्तान हमारा है यह शान हैं हमारी। गणतंत्र दिवस की हार्दिक शुभकामनायें ।
अलग है भाषा, धर्म, जात और प्रान्त, भेष, परिवेष पर हम सब का एक है गौरव राष्ट्रध्वज तिरंगा श्रेष्ठ॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰. गणतंत्र दिवस की हार्दिक शुभकामनाऐं.
अलग है भाषा, धर्म, जात और प्रान्त, भेष, परिवेष पर हम सब का एक है गौरव राष्ट्रध्वज तिरंगा श्रेष्ठ॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰॰. गणतंत्र दिवस की हार्दिक शुभकामनाऐं.
मुकुट हिमालय, हृदय में तिरंगा, आँचल में गंगा लाई है। सब पुण्य, कला व रत्न लुटाने, देखो भारत माँ आई है। 62वें गणतन्त्र दिवस की हार्दिक शुभकामनाऐं।
है भारत की शान तिरंगा, इसको न झुकने देंगे हम, वीरों की कुर्बानी को, व्यर्थ न जाने देंगें हम. भारत माँ के सेवक हैं हम, माँ की रक्षा हम करेंगें, बुरी नियत से जो देखेगा, उसका खात्मा हम करेंगें. दी शरण है हमने तब-तब, जब कोई है संकट आया, खुद भूखे रह कर भी हम ने, शरणार्थी को खाना खिलाया. जहां है बहती ज्ञान की धारा, वो भारत हमें है जान से प्यारा, सीता राम की धरती है जो, ऐसा भारत देश हमारा. न जाती न भाषा देखी, सबको अपना मीत बनाया, मिला जो भी हमें प्यार से, सबको 'दीप' गले लगाया. कविता:दीपक कुमार 'दीप'
ये भारत देश महान है. ये मेरा देश महान है. इसके लहराते खेतों का, अन्न हम सबने खाया है. कल कल करती नदियों से, शीतल जल हमने पाया है. इसके उत्पादित वस्त्र से अपना तन भी ढक पाया है. इसकी पावन शालाओं में ज्ञान सदा हमने पाया है. इसके हर इक नर -नारी से प्यार सभी ही पाते हैं. इसकी प्यारी मिट्टी को हम अपना शीश झुकाते हैं. इस पावन भूमि में हमने, अपना जीवन सफल बनाया है. ये स्वर्ग से भी महान है, ये मेरा देश महान है. कविता: हरिप्रसाद धर्मक विशाल
आज़्म-ए-वफ़ा मेरे वतन के साथ; मेरी खुशियाँ मेरे वतन के साथ; मेरा खून पसीना वतन के साथ; ये जज़्बा मेरे ख़्वाबों के साथ! शुभ गणतंत्र दिवस!
वतन हमारा ऐसे ना छीन पाये कोई; रिश्ता हमारा ऐसे ना तोड़ पाये कोई; दिल हमारे एक हैं एक है हमारी जान; हिंदुस्तान हमारा है हम हैं इसकी शान। शुभ गणतंत्र दिवस।