रुक कर हवा ने हमसे तेरे घर का पता पूछा; हमने पूछा क्यों उस घर में ऐसा क्या है; उसने कहा चाँद है जो जुल्फों में घिरा है; देखने को उसका चेहरा सारा जहां खड़ा है। शुभ रात्रि!
चाँद जब निकलता है तो तेरा गुमां होता है; इस कदर दिल फरेब समय होता है; हम तेरी याद में खोए रहते हैं; नींद में जब सारा जहां होता है। शुभ रात्रि!
कभी सोचते हैं एक गुलाब भेज दें; कभी चाहते हैं पूरा बाग़ भेज दें; जा रहे हो अगर आप सोने को तो दिल करता है; आपकी पलकों में प्यारा सा ख्वाब भेज दें। शुभ रात्रि!
आँखें भी मेरी पलकों से सवाल करती हैं; हर वक़्त आपको ही याद करती हैं; जब तक ना कह दें शुभ रात्रि आपको जालिम; सोने से भी इंकार करती हैं। शुभ रात्रि!
याद आती है तो ज़रा खो जाते हैं; आंसू आँखों में उतर आएं तो ज़रा रो लेते हैं; नींद तो नहीं आती आँखों में लेकिन; वो ख़्वाबों में आएंगे यही सोच कर सो लेते हैं। शुभ रात्रि!
मुझे भूल कर सोना, तेरी आदत ही बन गई है; ऐ दोस्त; किसी दिन हम छोड़ कर चले गए तो सारी ज़िंदगी नींद नहीं आएगी। शुभ रात्रि!
काश कि तू चाँद और मैं सितारा होता; आसमान में एक आशियाना हमारा होता; लोग तुम्हे दूर से देखते; नज़दीक़ से देखने का हक़ बस हमारा होता। शुभ रात्रि!
ऐसी हसीं आज बहारों की रात हैं; एक चाँद आसमा पर है एक मेरे पास है; देने वाले ने कोई कमी ना की; किसको क्या मिला ये मुकद्दर की बात है। शुभ रात्रि!
ज़िंदगी एक रात है, जिस में ना जाने कितने ख्वाब हैं; जो मिल गया वो अपना है, जो टुट गया वो सपना है। शुभ रात्रि!
सितारे चाहते हैं कि रात आए; हम क्या लिखें कि आपका जवाब आए; सितारों की चमक तो नहीं मुझ में; हम क्या करें कि हमारी याद आए। शुभ रात्रि!
दिन पे अँधेरा छा गया; चाँद तारों के साथ आ गया; रात का वक़्त सभी को सुला गया; और मेरा SMS शुभ रात्रि कहने आ गया। शुभ रात्रि!
छोड़ देंगे एक दिन तुमसे मोहब्बत करना, ये वादा है मेरा; बस ज़रा ज़िंदगी में सांसों से रिश्ता तो टूटने दे। शुभ रात्रि!