आसमान पर नया चाँद है आया; सारा आलम ख़ुशी से जगमगाया; हो रही है सेहर ओ अफ्तार की तैयारी; सज रही है दुआओं की सवारी; पूरे हों आपके सब अरमान; मुबारक हो आपको प्यारा रमजान!
तुम इबादत के लम्हों में मेरा एक काम करना; हर सहरी से पहले, हर नमाज़ के बाद; हर इफ़्तार से पहले, हर रोज़े के बाद; सिर्फ अपनी दुआ के कुछ अलफ़ाज़ मेरे नाम करना। हैप्पी रमदान!
मेरे खुदा तेरा शुक्रिया; मेरे खुदा तेरा रहम; मेरी दुआ है बस तुझसे ए मुर्शिद मेरे कि हमेशा रहे मुझ पर तेरा करम। रमजान मुबारक!
ए चाँद उनको मेरा पैगाम कहना; ख़ुशी का दिन और बरकत का धाम कहना; जब वो देखें बाहर आ कर आपको तो उनको मेरी तरफ; मुबारक हो रमजान कहना!
रमजान लेकर आया है दुआओं की झोली में खुदा के अल्फाज़; दिल से अल्लाह को याद करो और पढ़ते रहिए नमाज़! रमजान मुबारक!
रमजान की आमद है, रहमतें बरसाने वाला महीना है; आओ सब खताओं की माफ़ी मांग लें, ये खुदा पाक का महीना है! रमजान मुबारक!
ख्वाहिशों के समंदर के मोती तेरे नसीब हों; फूल चेहरा, फूल लहजे तेरे हमसफ़र हों; कुछ यूँ उतरे तेरे लिए रहमतों का मौसम; कि तेरी हर दुआ हर ख्वाहिश कबूल हो। रमज़ान मुबारक़
तुम हमारे दिल के करीब हो; हम से दूर होकर भी अज़ीज़ हो; दुआओं में याद कर लेना हमें भी कभी; शायद आपकी दुआ में हमारा नसीब हो। रमज़ान मुबारक़!
ऐ चाँद उनको मेरा ये पैग़ाम कहना; ख़ुशी का दिन और हँसी की शाम कहना; जब देखें बाहर आकर वो तुझे; मेरी तरफ से उनको मुबारक़ रमज़ान कहना।
गुल ने गुलशन से गुलफ़ाम भेजा है; सितारों ने आसमान से सलाम भेजा है; मुबारक़ हो आपको यह रमदान; ये पैगाम हमने सिर्फ आपके नाम भेजा है। रमज़ान मुबारक़!
कितनी जल्दी ये अरमान गुजर जाता है; प्यास लगती नहीं इफ्तार गुजर जाता है; हम गुनाहगारों की मगफिरत कर मेरे अल्लाह; इबादत होती नहीं और रमदान गुजर जाता है।