बहता पानी ही पत्थरों पर निशान छोड़ता है, पर पत्थर पानी पर कोई निशान नहीं छोड़ता है, इसलिए कहते हैं चलने का नाम ज़िन्दगी है।
ज़िन्दगी बहुत कुछ सिखाती है; कभी हँसती है तो कभी रुलाती है; पर जो हर हाल में खुश रहते हैं; ज़िन्दगी उनके आगे सिर झुकाती है।
कोई साथ दे ना दे, तू चलना सीख ले; हर आग से हो जा वाकिफ तू जलना सीख ले; कोई रोक नहीं पायेगा बढ़ने से तुझे मंज़िल की तरफ; हर मुश्किल का सामना करना तू सीख ले।
सोच को अपनी ले जाओ तुम उस शिखर तक; कि उसके आगे सारे सितारे भी झुक जाएं; न बनाओ अपने सफ़र को किसी कश्ती का मोहताज़; चलो इस शान से कि तूफ़ान भी झुक जाए।
हर दिन अपनी ज़िन्दगी को एक नया ख्वाब तो दो; चाहे पूरा ना हो पर आवाज़ तो दो; एक दिन पूरे हो जायेंगे सारे ख्वाब तुम्हारे; सिर्फ कोशिश करके एक शुरुआत तो दो।
जो हो गया उसे सोचा नहीं करते; जो मिल गया उसे खोया नहीं करते; होती है हासिल मंज़िल उन्हें; जो वक़्त और हालात पर रोया नहीं करते।
जब टूटने लगे हौंसला तो इतना याद रखना, बिना मेहनत के कभी तख़्त-ओ-ताज हासिल नहीं होते; ढूंढ लेते हैं जुगनू अंधेरों में भी मंज़िल; क्योंकि जुगनू कभी रौशनी के मोहताज़ नहीं होते।
मुश्किलें केवल बहतरीन लोगों के हिस्से में ही आती हैं, क्योंकि वो लोग ही उसे बेहतरीन तरीके से अंजाम देने की ताकत रखते हैं।
ज़िन्दगी उसी को आजमाती है जो हर मोड़ पर चलना जानता है; कुछ खोकर तो हर कोई मुस्कुराता है पर ज़िन्दगी उसी की है, जो कुछ खोकर भी मुस्कुराना जानता है।
हर दर्द की एक पहचान होती है; ख़ुशी चंद लम्हों की मेहमान होती है; वही बदलते हैं रुख हवाओं का; जिनके इरादों में जान होती है।
नदी जब किनारा छोड़ देती है; राह की चट्टानों को भी तोड़ देती है; बात छोटी सी भी अगर चुभ जाये दिल में; तो ज़िंदगी के रास्ते और दिशा बदल देती है।
यह ज़माना क्या सतायेगा हमको; इसको हम सताकर दिखलायेंगे; यह ज़माना क्या झुकायेगा हमको; इसको हम झुका कर दिखलायेंगे।