एक महान फिलोसोफर ने क्या खूब कहा है, कि .. “ज़िन्दगी तु ही बता कैसे तुझे प्यार करूँ? तेरी हर एक ‘सुबह’ मुझे अपनों से दुरी का एहसास देती है”
क्यों इतना वक़्त गुज़ारते हो देखते हुए खुद को आईने में.... कुछ वक़्त बैठो प्रभु के सामने खूबसूरत हो जाओगे सही माईने में..
कहां है मेरा वो घर जिसकी तलाश है। ऐ जिंदगी तुम बस झूठी सी आस है।। दर्द के कोई पैबंद, अगर दे सके तो दे। यूं तन्हा खड़े हुए है लूटने की आस है....
"नीयत" कितनी भी अच्छी हो, दुनिया आपको आपके दिखावेसे जानती है, और "दिखावा कितना भी अच्छा हो "उपरवाला" आपको नीयत से जानता है...
रिश्तो की डोर कमजोर तब होती है, जब इंसान गलत फहमी मे पैदा होने वाले सवालों का जवाब भी खुद ही बना लेता है ।
अ खुदा , अ मेरे मालिक, कुछ और नही बस पल भर के लिए हवा ही बना दे मुझे । माना वो अब किसी और की अमानत है पर कसम से मैं सिर्फ उसे "छु" कर लौट आऊँगा ।।